स्नेहा आज बहुत प्रसन्न थी।काॅलेज में आज दो प्राइज जीती थी।एक जमशेदपुर इंटर काॅलेज भाषण प्रतियोगिता और दूसरा इंटर काॅलेज कवि गोष्ठी।टेप्को में तुलसी जयंती मनाया जा रहा था ।इसी अवसर पर उसे सम्मान -पत्र और पुरस्कार मिला था।
वह खुशी -खुशी घर आ रही थी।तभी घर के दरवाजे पर उसका पैर फिसल गया। वह गिरते -गिरते बची। तभी उसकी माँ का ध्यान उसके पैरो पर पड़ा।वह चार इंच ऊँची ह्विल चप्पल पहनी थी। स्नेहा देखने में काफी आकर्षक थी।लेकिन कद की थोड़ी छोटी थी। यह कमी उसे हमेशा खलती थी।
माँ बोली – इतनी ऊँची सैंडिल क्यों पहनी हो ?
स्नेहा झेप गई।
मँ उसके सर पर हाथ रख बोली- बेटा व्यक्तित्व की ऊँचाई देखी जाती । कद की नहीं । तुम तो हीरा हो …हीरा।
तुम्हे दिखावा की जरूरत नहीं। यह कह कर माँ उसे गले से लगा लीं।
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रेखा सिंह
खराड़ी ,पुणे
महाराष्ट्र
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