सुमित आठ -नौ साल के उम्र से ही काफी होनहार लइका रहे।लेकिन :दादा -दादी के लाड़ दुलार से बहुते नटखट हो गइल रहे ।जब पढ़ावे बैठी त दादी के कोरा में छुप जाये।आखिर में दूसरी कक्षा में कम नम्बर आ गईल।
मन में विचार करल गइल कि बबुआ के नाम बोर्डिंग स्कूल में लिखावल जाय ।तबे पढ़ाई में सुधार होई।और एक दिन बबुआ के नाम नामी -गिरामी स्कूल मसूरी पब्लिक
स्कूल ‘में लिखा गइल।पटना से मसूरी लइका
एतना दूर पढ़े जाय एही सोच के मन रोये लागल।खैर; कलेजा पर पाथल रख सुमित के एडमिशन मसूरी बोर्डिंग स्कूल में करा देनी जा।छोड़े के समय खूब छछन-छनन के रोये- …मम्मी खूब मन लगा के पढ़ब। बदमाशी न करब हमरा दूर न भेज।सुन के कलेजा फट गइल । छोड़े के समय हमहूँ भोकार पार के रोये लगनी । लेकिन बबुआ के बाबूजी न मानलन। अपन बाबा -आजी के गर्दन से लिपट कर खूब रोये लागल।
छः महीना बाद ऊ होस्टल से घर
आईल त एकदम बदल गइल रहे। नटखट,च॔चल बदमाश लडका एकदम शांत हो गइल रहे । बार -बार पूछला पर भी कुछ जवाब न देवे। ए बाबू !ऊहा पर लईकन से कौनो लड़ाई झगडा होत रहे।
नहीं मम्मी सभी प्यार करते हैं।
मास्टरी सब मारेली का?
न ऊ लोग भी बढ़िया बाड़ी।
मम्मी एक बात पूछी?
का बात बा राजा बेटा?
हमार जनम बिहार में काहे भईल ?
का बात है बेटा?
जब हम बताविला कि हम बिहार से
बानी त लइकन सभे मुँह बिचकावे लगलन — छी बिहार से।ऐसे काहे माई?
बुड़बक !ईहे खातिर उदास बाड़?
अब कोई पूछी त गर्व से कहीह कि हम बिहार से बानी।
जानल बबुआ बिहार में गौतम बुद्ध और महावीर जैन के जन्म स्थली बा।बिहार में दुनियाँ के पहला विश्व विद्यालय नालंदा रहे।बिहार बाबू कुंवर सिंह के भूमि बा।बिहार विद्यापति ,दिनकर के भूमि बा।अब कोई पूछी त तन के कहिह कि हम बिहारी बानी।देखते -देखते स्कूल में सुमित के नाम टाप में हो गइल।
आज भी ओकरा लोग बिहारी बाबू के नाम पर याद करेलन।
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