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Poems

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वह मंदिर सदैव बंद रहता था  मृत ज्वालामुखी के समान  अकस्मात्-  एक दस्तक हुई  शायद आया हो…

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प्रथम रश्मि के पड़ते ही  मैंने माँगा था अमृत  अबोध, असहाय, निर्बल को  जननी ने दिया था…