हृद बारिश तरंगणी सकल क्षिति की छवि कलित निमिष यामिनी, ललित दामिनी प्रमोद अलि सुमन हरित अवनि…
प्रथम रश्मि के पड़ते ही मैंने माँगा था अमृत अबोध, असहाय, निर्बल को जननी ने दिया था…
गुमसुम है पेंड खफा-खफा भी इतने दिन कहाँ थी? आज पूछ रही हाल-चाल अब प्रस्थान का समय…
मन के मरूस्थल में चलता है सपनों का कारवाँ साथ-साथ चलता है समय के पहिये साथ-साथ चलता…
स्त्री विमर्श पर आप सभी मित्रों को समर्पित मेरी रचना— आदम और हौवा मनु और श्रद्धा साथ-साथ…
ओ बसंत रूक जा सरसों के फूल खिले पीले-पीले मोजरायी गंध लिए पुरबा चले बिरहन के आज…
सजन हो! हमके मोबाइल मंगा द बलम हो हमके मोबाइल मंगा द। यू ट्युब देख के खाना…