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एक प्रश्न
हृद बारिश तरंगणी सकल क्षिति की छवि कलित निमिष यामिनी, ललित दामिनी प्रमोद अलि सुमन हरित अवनि का तू काजल…
अमृत
प्रथम रश्मि के पड़ते ही मैंने माँगा था अमृत अबोध, असहाय, निर्बल को जननी ने दिया था अमृत किया था…
बिक गया बगीचा
गुमसुम है पेंड खफा-खफा भी इतने दिन कहाँ थी? आज पूछ रही हाल-चाल अब प्रस्थान का समय आ गया आम…
काहे कोयल शोर मचाये रे (हास्य)
मेरी हास्य -व्यंग्य रचना बारिश की याद दिलाती है।😀😆 काहे कोयल शोर मचाये रे मोहे अपना कोई याद आये रे………
व्यक्तित्व की ऊंचाई
स्नेहा आज बहुत प्रसन्न थी।काॅलेज में आज दो प्राइज जीती थी।एक जमशेदपुर इंटर काॅलेज भाषण प्रतियोगिता और दूसरा इंटर काॅलेज…
सपनों का कारवाँ 🌿
मन के मरूस्थल में चलता है सपनों का कारवाँ साथ-साथ चलता है समय के पहिये साथ-साथ चलता है नीला आकाश…
बिहारी बाबू
सुमित आठ -नौ साल के उम्र से ही काफी होनहार लइका रहे।लेकिन :दादा -दादी के लाड़ दुलार से बहुते नटखट…
अगरबत्ती
अगरबत्ती का पैकेट टेबल पर देख मैं मन ही मन बहुत खुश हुई। आज ही अगरबत्ती खत्म हुई थी।मैं प्यार…
अस्तित्व
स्त्री विमर्श पर आप सभी मित्रों को समर्पित मेरी रचना— आदम और हौवा मनु और श्रद्धा साथ-साथ ही चले थे…
ओ बसंत रूक जा
ओ बसंत रूक जा सरसों के फूल खिले पीले-पीले मोजरायी गंध लिए पुरबा चले बिरहन के आज क्यों जियरा जले…