पूछते ये सभी
उल्कापात क्या होता है?
मेरा जवाब-तारों का टूटना
मैं नहीं जानती थी
किस-किस का टूटना
उल्कापात होता है।
तारे हैं, हँसेंगे
बिखरना है काम
कली है, खिलेगी
सँवरकर झरना है काम,
मारी गई फसल
पर कृषक तो जोता है
किस-किस का टूटना
उल्कापात होता है !
देख छटा छा गए
चातक क्या पाता है
एक स्वाति बूँद के लिए
ओला भी खाता है,
फिर भंवरजाल में
लग गये गोता है
किस-किस का टूटना
उल्कापात होता है !
फैली है चाँदनी
बादल क्यों छाता है
कण-कण में देवता
नहीं मानव क्यों पाता है
अद्भुत है जगत
राही-
क्या-क्या नहीं पाता
क्या-क्या नहीं खोता है
किस-किस का टूटना
उल्कापात होता है !
फिर बौराया झूमता
आने लगा चक्रवात
कोई निर्भय बढ़ गया
किसी का छलनी हुआ गात
आता है विघ्न मानव क्यों रोता है
किस-किस का टूटना
उल्कापात होता है !
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