पूछते ये सभी 

उल्कापात क्या होता है? 

मेरा जवाब-तारों का टूटना 

मैं नहीं जानती थी 

किस-किस का टूटना 

उल्कापात होता है।

तारे हैं, हँसेंगे 

बिखरना है काम 

कली है, खिलेगी 

सँवरकर झरना है काम, 

मारी गई फसल 

पर कृषक तो जोता है 

किस-किस का टूटना 

उल्कापात होता है !

देख छटा छा गए 

चातक क्या पाता है 

एक स्वाति बूँद के लिए 

ओला भी खाता है, 

फिर भंवरजाल में 

लग गये गोता है 

किस-किस का टूटना 

उल्कापात होता है !

फैली है चाँदनी 

बादल क्यों छाता है 

कण-कण में देवता 

नहीं मानव क्यों पाता है 

अद्भुत है जगत 

राही- 

क्या-क्या नहीं पाता 

क्या-क्या नहीं खोता है 

किस-किस का टूटना 

उल्कापात होता है !

फिर बौराया झूमता 

आने लगा चक्रवात 

कोई निर्भय बढ़ गया 

किसी का छलनी हुआ गात 

आता है विघ्न मानव क्यों रोता है 

किस-किस का टूटना 

उल्कापात होता है !

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Poems,

Last Update: 2024-09-16

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